तुम्हारे फन का कायल अमन हुआ।
दर्द का कर्जदार बेचारा ज़ख्म हुआ।।
एक हँसी यों ही जाते कुछ कह गई।
लोगों की नजर में उसका कर्म हुआ।।
चुभन आज भी महसूस समाज को।
नाबालिगो को सीख देना मर्म हुआ।।
प्यार व्यक्तिगत बना रहा तितली में।
तितली का करीब आना धर्म हुआ।।
कौन समझाएं 'उपदेश' फितरत को।
प्यार करके धोखा देना अधर्म हुआ।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद