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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सागर और हमारा मन - वन्दना सूद


कुछ कुछ सागर सा जीवन है अपना
जो अथाह जल सा विशाल
जिसकी लहरें उठती हैं और दूर बाहर तक आतीं
कभी धीमी, कभी तेज, कभी ऊँची बलखाती
धरती से टकराकर फिर वापिस सागर में मिल जातीं
कुछ को अपने साथ ले जातीं, कुछ को बाहर छोड़ जातीं
सागर का शांत स्वाभाव उसकी लहरों में
तूफान की ताकत को बयां नहीं होने देता

सागर सा ही हमारा मन
जो अथाह भावनाओं से भरा
जिसकी विचार रूपी लहरें आपस में टकरातीं
ममता, प्रेम, गिले शिकवे जिसकी तरंगें
जो पल पल हर पल उछाल खातीं
सब कुछ स्वयं में ही समेटकर स्वयं को नष्ट कर देतीं
सागर जैसा जीवन तो पाया पर
उसके जैसा स्वाभाव नहीं अपना पाया।

----वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी said

बहुत ही सुन्दर एवं उत्कृष्ट रचना

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir अपने comment से हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए 🙏🙏

विभूति नारायण said

बहुत बढ़िया

वन्दना सूद replied

शुक्रिया प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए🙏🙏

फ़िज़ा said

Bahut Achcha likha Vandana mam aur बहुत-बहुत Mubarak Maine Lekh Padha aapki rachnaen Mujhe Pasand Aati Hai usmein aapka naam sammilit Dekhkar Mujhe atyant Khushi Hui

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am 😊अपनी सोच में हमें शामिल करने के लिए शुक्रिया

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