सिमट के बैठ जाया करो घरों में
अच्छा नहीं यहां पर,आवारा होना
बेहतर हे देखकर मुंह मोड़ने से
डूबते को तिनके का सहारा होना
यहां बाजिब हैं सब अपनी जगह पर
बस खल रहा है यहां पर,हमारा होना
बिना फूलों के महकने लगें गलियां
बस काफी हे वहां पर तुम्हारा होना
जिससे टकराके दम तोड़ती हों लहरें
कितना मुस्किल हे बो किनारा होना
गर न हों नकाव ये चेहरों पर सबके
आसान हे जिंदगी का गुजारा होना
आखों को सुकून दे राहगीरों की
होना तो कभी ऐसा नजारा होना
ढल जाती है उम्र बेज़ार साए मैं
नसीब हे , किसी का दुलारा होना
जियो जिंदगी तो जीना खुद्दारी से
बड़ा जिल्लत भरा हे बेचारा होना
मोजूदगी भर से चमक जाय महफिल
जरूरी हे किरदार अपना संवारा होना
जैसे को तैसा कहने वाले हम
मंजूर नहीं हे सब गबारा होना
निगाहों से उतर जाने के बाद
मुस्किल है यकीं दुबारा होना
हर चीज बेहतर हे भीतर हदों के
अच्छा भी क्यों ,हद से जादा होना
इससे बुरा और क्या हे जहां में
किसी के जरिए नकारा होना
सब के दिलों में उतर जाएं जो
क्या?जरूरी हे इतना प्यारा होना
मांगे जो मन्नत मुकम्मल करे बो
टूट कर भी ऐसा सितारा होना
साक्षी लोधी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




