कर्मों के फल- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
भ्रष्टाचार का अंत होगा,
सोचते हो तुम ।
गंगा नहाने से,
तुम्हारे पाप धुल जाएंगे।
चोरों की तरह,
पिछले दरवाजे से,
चुपके से निकल जाएंगे।
कर्मों के फल,
आज नहीं तो कल पाओगे।
खुल रहे हैं राज,
अपनी ही नजरों में गिर जाओगे।
चंद सिक्कों की खातिर,
स्वार्थ ने अंधा बना दिया ।
अंकी इंकी डंकी लाल,
भ्रष्टाचार के तीन दलाल।