शब्दों का श्रृंगार करें
राग ध्वनि का अलंकार करें
तो क्यों हज़ारों सवाल दुनियां करें
मन की पावन वाणी
गर शब्द के लय से सजे
तो क्यों अर्थ का अनर्थ लगे
सोच के आधार में शब्द सहारा बने
कुछ उद्देश्य भरा चिंतन रास्ता बने
तो क्यों समझ को दरवाजा दूजा करें
आखिर खेल सब नज़र का
शब्द तो बिचारा लज्जा से सजा
तो क्यों नज़रिया उसे बर्बादी का दामन घिरे