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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कैसे नियम हैं दुनिया के

कैसे नियम हैं दुनिया के
कैसे नियम हैं दुनिया के
ईश्वर को सब माता पिता कहते
फिर भी उनके पास जाने के अजीब नियम बनाते
बहुत माननीय सन्त कहते हैं
सत्संग में सोते क्यों हो ?
भंडारे-लंगर में पेट भर खाते क्यों हो ?
मन्दिर में सज धज कर आते क्यों हो ?

विचारधारा है यह अपनी अपनी
यदि देवघर है घर माता पिता का
तो क्यों न मैं सज धज कर वहाँ आऊँ?
सत्संग सभा है मेरी माँ की गोद और प्रवचन मेरी माँ की लोरी
तो क्यों, मैं वहाँ सुख की नींद न पाऊँ?
भंडारा मेरी माँ के हाथ का खाना
तो क्यों न मैं भरपेट वहाँ खाऊँ?

ज़िन्दगी की उलझनों से निकल कर हम आते
भागदौड़ से थक कर दो पल जीने आते
अपने सुख दुख उन्हें सुनाने आते
जब मन्दिर की चौखट पर भी उनकी मर्ज़ी से ही आते
सत्संग सुनना या सुनकर सोना सब उनकी कृपा से ही पाते
तो क्यों सन्त जना हमको समझ न पाते ?
तो क्यों अपने ज्ञान के नियमों की लकीरें से हमारी आस्था को सच्चा न बताते ??
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah 👌👌👏🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

Very true 👍 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत सवाल और उनके जबाव आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Anupam vicharon se paripurn...🙏🙏

वन्दना सूद replied

Shukriya sir 🙏🙏

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