अपनी खूबसूरती की हद, सीमा मुझ से ना पूछो सनम,
गोरे रंग और चेहरे का क्या है, आज है, कल नहीं,
तेरे सुंदर बोल और मन को पढ़कर, खुश रहने का एक बहाना मिल गया,
चलो खुश रहने के लिए दोनों नये बहाने खोजें,
कुछ तुम मेरे दिल तक आ जाओ,
कुछ मैं तुम्हारे दिल तक आ जाऊँ,
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'
(9038539663)