मां!!
जब मैंने, धरती पर
पहली सांस ली थी
सांसों में सिर्फ तुम्हारी सुगंध थी
पहली बार आंखें खोली
आंखों में सिर्फ तुम्हारी मूरत थी
मेरी हथेलियों की पहली पकड़
सिर्फ तुम्हारी ही तर्जनी थी
तुम्हारी लोरी की तरंगें
मेरे कानों की पहली ध्वनि थी
पहला स्वाद का पहला अनुभव
तुम्हारी दूध का अमृत रस था
तन की पहली ठंडक, पहली गर्माहट
सिर्फ तुम्हारा ही स्पर्श था
जब मैं पहली बार रोया था
तुम्हारी नयन कोर से निकली
दो बूंदों के गुनगुनेपन में
सारे जहां की खुशियां समाहित थी
तुम्हारी हृदय में, दुनिया की
सारी मंदिरें, देवताएं विराजित थी
मां!!
मेरे जीवन के लिए
अपने जीवन से खेल जाती है
परमात्मा से झगड़ जाती है
मौत सा दर्द झेल जाती है
मां! तभी तुम्हारा जीवन
ईश्वर से मेल खाती है।।।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




