डर डर कर शुरूआत अंजाम मोहब्बत।
सोचा नही था इत्तेफ़ाक शान मोहब्बत।।
उस ख्वाब के मंजर में डूबी हुई आँखें।
बस तुमको देखती अभियान मोहब्बत।।
याद बहुत आएगी जुल्फों में छुपी शाम।
रात नजर आएगी अभिमान मोहब्बत।।
पलकें हुई भारी समझो नींद बड़ी प्यारी।
बिस्तर न माँगेगी देखो श्मशान मोहब्बत।।
घर तुम से तेरे साये की छाया में 'उपदेश'।
चाहत के समुन्दर में आलीशान मोहब्बत।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद