तुझसे प्यार बहुत करतीं है सावन की रिमझिम।
काली जुल्फों वाली,
मस्त घटा मतवाली।
मुझको छेड़ रही है,
ये ऋतु बूंदों वाली।
ठंडी आग लगा देतीं हैं सावन की रिमझिम।
तुझसे मिलकर आएं,
तेरी खुशबू लाएं,
ये हंसों के जोड़े,
संग संग नहाएं।
तेरी ही बातें करतीं हैं सावन की रिमझिम।
यादें जब आतीं हैं
दिल को तडपातीं हैं,
सपनों की पलकों को
गीली कर जातीं हैं।
सारी रात जगातीं हैं ये सावन की रिमझिम।
गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर