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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पेड़ों की चित्कार

कभी सुनी है तुमने पेड़ों की चित्कार?
जब पड़ते हैं कुलहड़ियों के वार
किस कदर रोते हैं पेड़
यह सुना है कभी?
किस तरह दुखी होते हैं,
महसूस किया है कभी?
क्या दिखाई दिए हैं कभी
मदद मांगते हजारों हाथ?
क्या पता है क्या ,
सुलूक किया है तुमने इनके साथ
कट कर गिरती है कोई टहनी जब धरा पर
क्या कोई असर हुआ तुम्हारे मन पर?
सबकुछ तो तुमको ही दिया
फिर भी तुमसे क्या लिया?
पर तूने छल के सिवा क्या किया
जा स्वार्थी एकदिन ऐसा आयेगा
जब तू भी तड़पता चिल्लाएगा
याद करना अपना गुनाह उस वक्त
लेकिन क्या प्राण होंगे तुम्हारे तब तक?
ख़ाक हो जाओगे तुम ये एहसास करते तक.


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Arpita pandey said

Bahut Sundar likha hai aapne plants me bhi feeling Hoti hai

लिखन्तु - ऑफिसियल said

बहुत उत्तम विचारों भावों के साथ आपने कविता की शुरुआत की और उसको जो दिशा प्रदान की है वास्तव में सार्वजानिक चिंताजनक सन्देश देकर इंसान को कहीं न कहीं झकझोर के रख पाने में सक्षम है, आपके विचार काफी उत्तम है प्रकृति को लेकर बिलकुल वैसे ही पाक साफ़ जैसे प्रकृति

वन्दना सूद said

बहुत सही लिखा आपने 🙏🙏ना दिखने वाले दर्द का एहसास ही कहाँ होता है आजकल

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