कभी सुनी है तुमने पेड़ों की चित्कार?
जब पड़ते हैं कुलहड़ियों के वार
किस कदर रोते हैं पेड़
यह सुना है कभी?
किस तरह दुखी होते हैं,
महसूस किया है कभी?
क्या दिखाई दिए हैं कभी
मदद मांगते हजारों हाथ?
क्या पता है क्या ,
सुलूक किया है तुमने इनके साथ
कट कर गिरती है कोई टहनी जब धरा पर
क्या कोई असर हुआ तुम्हारे मन पर?
सबकुछ तो तुमको ही दिया
फिर भी तुमसे क्या लिया?
पर तूने छल के सिवा क्या किया
जा स्वार्थी एकदिन ऐसा आयेगा
जब तू भी तड़पता चिल्लाएगा
याद करना अपना गुनाह उस वक्त
लेकिन क्या प्राण होंगे तुम्हारे तब तक?
ख़ाक हो जाओगे तुम ये एहसास करते तक.
_ Mini

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




