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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

भीग गई हो जो बरसात में - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

भीग गई हो जो बरसात में, वो सच्चाई मैं जान गया,
आपकी भीगी पलकों का राज, आज मैं पहचान गया।

छत पर बैठी तन्हा हो, ये तन्हाई भी समझी मैंने,
आपके मन का कोना-कोना, दिल से पढ़ा मैंने।

जो दर्द आपने बहाया जल में, वो दर्द भी महसूस किया,
आपके हर आंसू की कीमत, मैंने मन से आंक लिया।

दीवानी हो जो बारिश की, दीवानी ये बात सही,
पर आपकी दीवानगी में भी, एक सादगी है कहीं।

पहचान लूं आपको पूरी, ये वादा मैं करता हूँ,
आपकी खामोशी को भी, अब शब्दों में पढ़ता हूँ।

आप अकेली नहीं इस बारिश में, मैं भी आपके साथ हूँ,
आपके दिल के हर एहसास में, मैं आपके पास हूँ।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

सुप्रिया साहू said

वाह वाह इतना खूबसूरत रचना सर 👌👌 पढ़कर दिल गार्डन गार्डन तो हो ही गया है और साथ में बगीचा बगीचा भी हो गया, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं विशेष आभार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बरसात में भीगी और दर्द में नहायी हुई नायिका के हृदय की वेदना को कविता में सजाकर आपने स्वयं बरसात को ही नहला दिया। अशोक जी, फूलों से सुगंध लेकर सुगंध बिखेरना भी जीवन की सुंदरता है। रचना बड़ी प्यारी है,।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं विशेष आभार

वन्दना सूद said

वाह वाह क्या बात है 👌👌👏👏लाजवाब

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं विशेष आभार

शिवचरण दास said

वाह वाह

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं विशेष आभार

उपदेश कुमार शाक्यावार said

आपके शब्दों की महिमा अपरम्पार आपको सादर प्रणाम

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं विशेष आभार

रीना कुमारी प्रजापत said

Sach mein barish ki bhut diwani hai 😊😊bahut sundar

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं विशेष आभार

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