कोई लड़ लड़ के जिया
तो कोई मर मर के जिया
है ये जिंदगी खुशियों वाली
हँस के न जिया जो तो क्या
ख़ाक जिया।
जीवन की खूबसूरत गाड़ी
क्यूं हिचकोले खाए
जब जीवन के रस्ते हैं
प्यार भरे
बस एक दूसरे को कोस कोस
कर जिए
सदा करते एक दूसरे को कंप्लेन
रहे।
अरे आशियानें मिल जुल कर हीं
बनतें हैं
वरना दिल मिल कर भी न कभी
मिलते हैं।
है यह मानव मन बड़ा हीं चंचल
कभी इस नगर तो कभी उस डगर
उड़ते रहतें हैं
लाख जतन कर ले कोई भी तो क्या
ये कहां संभलतें हैं।
बस अपनी मनमानी करतें हैं
कहां किसी की सुनतें हैं...