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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कभी लगता है।

कभी लगता है भरा हूँ,
कभी लगता है खाली हूँ।
कभी लगता है बोल रहा हूँ,
कभी लगता है ख़ामोश हूँ।
कभी लगता है पागल हूँ,
कभी लगता है इंसान हूँ।
कभी लगता है याद है और यादें हैं,
कभी लगता है भूल गया और छोड़ दिया।
कभी लगता है आज का हूँ,
कभी लगता है कल से था।
कभी लगता है मैंने किया,
कभी लगता है मैंने क्या किया।
अब वो क्या हिस्सा है जुड़ा हुआ है,
मैं जो हूँ वो ही बिखरा पड़ा है।।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत खूब लाचारी..हर लाइनें आभारी..संदेश पहुँचेगा जरूर...जब होंगे उपदेश प्रभारी। 👏👏

Lalit dadhich replied

आप भी धन्यवाद के अधिकारी, आप हमारे अमर उजाला के जीवंत उदाहरण हैं।

Lalit dadhich said

आप भी हैं धन्यवाद के अधिकारी 🙏🙏🎉🎉

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर 👌👌

Lalit dadhich replied

धन्यवाद, समीक्षा ही जीवंत अनुभव। आभार

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar Rachna, Adarneey ko Saadar Pranam 🙏🙏 अब वो क्या हिस्सा है जुड़ा हुआ है, मैं जो हूँ वो ही बिखरा पड़ा है

Lalit dadhich replied

आपका खूब खूब आभार 😃😃

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