ख़ामोशी के पल।।
सिद्धांत ए हुस्न का ऐतबार करते हो,
आह किसकी भरते हो, जिसका इंतजार करते हो
तुम फकीर हो इस दिल से,
जिस की राह पर आहें भरते हो;
वो फूल हर राह पर कांटे नजर आते हैं,
कयामत का नसीब अच्छा है जिसमें तुम्हें यह जिस्म दिया," पर दिया तो बहुत कुछ"
पर तुम्हारा दिल ले लिया,
किसने नजरें मिलाई थी, कि तुम्हारा हुस्न देख लिया,
मोहब्बत की ऐ आरज़ू, उसने तुम्हारा दिल लिया
तुमने उसका जिगर ले लिया;
मेरी तमन्ना बस इतनी है कि जिस दिन तुम मुझसे मिलो उस दिन अपना दिल साथ रखना
वरना महफिल के हर मोड़ पे मुझे खामोशी का सामना करना पड़ेगा।
- ललित दाधीच।।