ज़िंदगी कहें है कुछ
सुन ले, सुन ले अभी
देती सलाह और करें निहाल
पकड़ ले उसे अभी..!!
भावुक वो, गंभीर भी,
रोना छोड़, मुस्कुरा दो अभी
चित की अवस्था में वृति भिन्न भरी
अंतःकरण से निश्चय करो अभी..!!
बुद्धि से चलो, अहम् को छोड़
पापों से मुक्ति, मिले अभी
क्रिया - कर्म, गठबंधन जैसा है
न्याय से उद्धार समझ अभी..!!
अनुराग से संसार में छाया संगीत
प्रीत से छूटे न सत्य कभी
छूटेंगे प्राण कब,कैसे ? पता नहीं
इर्षा छोड़ जिंदादिली रखो अभी..!!