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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कागज़ और कलम

ये कागज़ मेरा दोस्त और कलम मेरी ज़ुबान हैं...
कागज़ सुनता मेरी दर्द भरी दास्तां और
कलम उसे सुनाती है।

सोचो ये कागज़ ना होता कौन सुनता मेरे दर्दों को,
सोचो ये कलम ना होती कौन बयां करता
मेरी कहानी को।

ये कागज़ मेरा दोस्त और कलम मेरी ज़ुबान हैं..
कागज़ मेरी हर बात को राज़ बनाकर रखता है,
और कलम मेरा हर हाल जान लेती है।

सोचो ये कागज़ ना होता अपना राज़ किसे बताते हम, सोचो ये कलम ना होती मेरा हाल पूछता कौन ?

ये कागज़ मेरा दोस्त और कलम मेरी जुबान हैं...
कागज़ सुनता है मेरी हर वो बात
जिसे सुनता है ना और कोई, और कलम बयां करती मेरी हर वो बात
जिसे बयां मैं कर सकती नहीं।

सोचो ये कागज़ ना होता कौन सुनता
मेरी उन अनकही बातों को,
सोचो ये कलम ना होती कौन बयां करता
जिसे मैं बयां कर सकती नहीं।

"रीना कुमारी प्रजापत"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आपकी उपस्थिति मिली रीना mam एक और सुन्दर काव्य के साथ खूबसूरत रचना कागज़ और कलम

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

वन्दना सूद said

वाह वाह 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया वंदना जी

फ़िज़ा said

aapki kavitaon najmo aur ghazalon ko padhkar kabhi kabhi man karta hai kuch likhun 'Par kya karein Kaagaj Aur Kalam' to aapke paas hain.

रीना कुमारी प्रजापत replied

😀😀😀😀 शुक्रिया

फ़िज़ा said

Bahut Khoob Likha Mam

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