कुसंगति को त्यागकर अच्छी संगत करना है।
अच्छी संगत नहीं मिले तो तन्हाई में रहना है।
संगी साथी बिगड़ रहे हो तो तन्हाई में जाना है।
अपने मन को वश में रखकर जीवन बिताना है।
तन्हाई में रहकर अपने मन को शांत रखना है।
चिन्तन मनन करके कर्तव्य पथ पर चलना है।
तन्हाई में रहकर शरीर सुंदर स्वस्थ बनाना है।
योगा प्राणायाम करके अध्यात्म ज्ञान बढ़ाना है।
अपने लक्ष्य बनाकर के मंजिल तक चलना है
तन्हाई में जीवन के अब सुन्दर सपने बुनना है।
तन्हाई में मानव को स्वस्थ चिंता मुक्त रहना है।
चिंता छोड़ चिंतन कर अब आगे बढ़ते रहना है।
संगत अच्छी मिलने पर तन्हाई त्याग देना है।
अच्छे संगी साथी के संग मनोरंजन करना है।
कुसंगति को त्यागकर अच्छी संगत करना है।
अच्छी संगत नहीं मिले तो तन्हाई में रहना है।
-सत्यवीर वैष्णव