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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्या था वो हमने उसे क्या बना दिया ?

रहम हमने उस पर कितने ही किए,
बेरहम हमारे लिए वो बन गया।
जाने क्यों वो कमबख़्त,
गुनहगार हमारा बन गया।।

क्या था वो,
हमने उसे क्या बना दिया।
उसने ऐसा सिला दिया
कि हमे धूल में मिला दिया।।

खिदमत में उनकी,
हम हाज़िर हमेशा रहते थे।
जरूरत पड़ी जब हमे उनकी तो,
वो हाथ छुड़ाकर चल दिए।।

दुआएं हम करते थे,
उसकी सलामती की।
पर जाने क्यों वो नाचीज़,
बद्दुआएं हमे देते हैं।।

पेश हमेशा हम उससे,
इज़्ज़त से आते रहे।
और वो बेदर्दी,
रुसवा हमें करते रहे।।

- रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Umda bahut khoob ✍️✍️Reena Mam, pranam sweekar karein ,🙏🙏

Bhushan Saahu said

Bahut sundar likha h aapne...pyar m aksar asa hi hota h

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर लिखा है आपने मेरी प्यारी बहना। पर क्या वास्तव में ही ऐसा हुआ है।

डॉ कृतिका सिंह said

Sundar alfaaz aapko padhne ka mauka milta rahta hai. Aapki rachnaon me bhavnayein paryapt hoti hain. Umda prastuti

फ़िज़ा said

Bahut Khoob appreciated

ताज मोहम्मद said

ये हकीकत है या तस्वुर पता नही पर लिखा बहुत ही उम्दा है आपने।

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत बहुत आभार आप सभी का,🙏🙏 It's only imagination

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