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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जूते - टूटी चप्पल - नेत्र प्रसाद गौतम


टूटी चप्पल पहन
गांव छोड़ शहर गया
जूते ही जूतों का
एक बड़ा शोरूम आया
शोरूम वाले ने
तीन हजार का जूता दिखाया
लो साहब ये बढ़िया हैं
उसने ऐसा बताया
मैंने दोनों पैरों में
जूता लगाया
थोड़ा टाइट...
जूतों में मैंने पाया
फिर मैंने जूता
दोनों को खोला
जूते तो टाइट हैं
ये उसको बोला
वह बोला,
साहब टाइट जूते ही पहनो
बाद में खुल जाएगा
फिर आप को ये जूते पहनने में
बहुत ही मजा आएगा
उसकी ये सब बातों को तबज्जो दिया
मैंने पुराने चप्पल फेक
नए जूते पहन लिया
फिर मैंने भाव पूछा तो
उसने रेट लगाया
पूरा का पूरा तीन हजार बताया
फिर उसने बोला,
पहले बताना सही होगा
जूता लो या न लो
बिका मॉल वापस नहीं होगा
मैं बोला, ठीक है भाई
उसको पैसा दिया
भले ही टाइट हो
मैंने भी नए जूते पहन लिया
नए जूते पहन
पैदल एक घंटे भी चल न पाया
मेरे दोनों ही पैर
जूतों ने बुरी तरह काट खाया
मुझे बहुत गुस्सा आया
जूते फेंकू तीन हजार के हैं
अगर न फेंकू तो
काम के नहीं बेकार के हैं
अगर न फेंकू तो
काम के नहीं बेकार के हैं.......


----नेत्र प्रसाद गौतम




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

देवेंद्र यादव said

बाजारवाद का बढ़ता स्तर एवं बाज़ारवाद में हमारी रूचि का नतीजा है

फ़िज़ा said

Bahut hi Sundar prasang Bahut khoob likha janab

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