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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सुनो सुनो - नेत्र प्रसाद गौतम

सुनो सुनो ये क्या कर रहे हो ?
तुम सिर्फ अपना ही पेट भर रहे हो
पैसा कमाते हो कमाओ जरूर
पैसे से अपना जेब भरो
मगर पैसे का ढंग से सदुपयोग भी तो करो
तुम होटल पर ज्यादातर जाते हो
वहां वियर विस्की पी कर मास मछली खाते हो
सिर्फ इतना ही नहीं देर तक फैशन शो देखते हो
अर्ध नग्न डांसर लड़कियों पर बीतोड़ पैसे फेंकते हो
पैसों से दूसरों पर रोब भी मत दिखाओ
इंसान हो तो जरा इंसान बन जाओ
तुम तो बहुत बिगड़ते जा रहे हो
घर में भी तुम बहुत देर से आ रहे हो
सुनो सुनो..... ये कहां सही है
जिन्दगी सिर्फ ऐश करना ही नहीं है
इस धरती पर आ कर तुमने एक अच्छा काम किया तक नहीं
किसी गरीब आदमी को कुछ दिया तक नहीं
एक दिन मरना ही है ईश्वर से तो डरो
मरने से पहले कोई अच्छा काम तो करो
मरने से पहले कोई अच्छा काम तो करो.......

----नेत्र प्रसाद गौतम




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut achha vishay mahoday... Pranam sweekar karein aur ek sawaal hai aapse gustakhi ke liye maafi chahta hun lekin aapki kavitaon rachnaon ka Nayak/khalnayak bar bar hotel me bear vhiski peene kyu chala jaata hai? Khama karein m aapki rachnaon ki kadra karta hun or unke sandesh ko bhi samjhta hun aap bahut hi achha likhte hain bas aapki pratikriya ke do shabd sunane ko mil jaye din ban jaye.

वन्दना सूद said

अच्छी सोच को बहुत ही सुंदरता के साथ समझाया 👏👏🙌🏻🙌🏻

नेत्र प्रसाद गौतम said

नमस्कार वंदना सूद जी आप ने मेरी इस रचना को प्रशंसा कर कर मुझ को बहुत बड़ा हौसला प्रदान किया है इस के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद।

Updesh Kumar Shakyawar said

अच्छा संदेश 🙏🏻🙏🏻

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