सत्य की पुकार
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
सत्य की आवाज़, है कितनी निराली,
कभी शांत, कभी बनती वो ज्वाला सी।
दबाने की कोशिशें होती हज़ार,
पर टूटती नहीं कभी इसकी दीवार।
शुरुआत में शायद, अकेले खड़ी हो,
हज़ारों झूठों के, बीच भी अड़ी हो।
पर धीरे-धीरे, इसकी गूँज बढ़े,
हर दिल में ये फिर, अपनी जगह करे।
कड़वी लगे चाहे, इसकी कोई बात,
पर अंत में देती है, ये ही सौग़ात।
अँधेरे को चीरे, प्रकाश ये लाए,
हर भ्रम को मिटाए, राह ये दिखाए।
डर के साए में, जो छिप जाते हैं,
वे सत्य की शक्ति, नहीं जान पाते हैं।
साहस हो जिसके, हृदय में अपार,
वो ही करता है, सत्य का दीदार।
यह सिर्फ़ एक शब्द नहीं, एक जीवन है,
अन्याय के विरुद्ध, एक आंदोलन है।
सत्य की आवाज़, कभी ना रुकेगी,
जब तक दुनिया में, सच्चाई ना झुकेगी।