जीवन की पगडंडी
कभी सीधी
कभी टेंढी मेंढ़ी।
गुजरती कभी
हरियाली से।
कभी मुरझाई
झुरमुट झाड़ी से।
कभी पहाड़ों
कभी तालों
तील तलैयों से।
कभी नदियों से
कभी झील झरनों
झंझावातों से।
कभी खट्टी
कभी मीठी
कभी फटकारों से।
कभी सर दर्द सी गर्मी
तो कभी जड़ों की नर्मी।
कभी सीधी
तो कभी भूलभुलैया।
कभी खुद
तो कभी कोई खेवईया।
कभी चुपके से
तो कभी बजाती घंटी
जीवन की पगडंडी
कभी सीधी तो कभी
टेंडी मेढी जीवन की
पगडंडी..
जीवन की पगडंडी
भईया जीवन की पगडंडी...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




