ग़म की आदत हो गई,
कुछ इस तरह !!
खुशियों से भी ,
लगता है अब डर मगर !!
आता ही कोई नहीं,
मिलने यहाँ !!
पंछियों से भी,
हीता है भ्रम मगर !!
रात के सन्नाटे,
हैं साथी मेरे !!
गौरेया भी रूख नहीं,
करते इधर !!
सोचता हूँ ज़िन्दा हूँ
या मर गया !!
रोशनी है धूप की,
आती मगर !!
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




