कापीराइट गजल
तुम्हारे प्यार में जब कोई यूं ही मजबूर होगा
यह रिश्ता आपके पापा को कहां मंजूर होगा
यह माना के संगमरमर सी खूबसूरत हो तुम
तुम्हारे पापा को मेरा चेहरा कहां मंजूर होगा
जब अपनी ये उंगली हम पे उठाएगा जमाना
तब आप के दिल को कहां यह मंजूर होगा
खबर अखबार में जब, छ्प जाएगी एक दिन
ये किस्सा प्यार का अपना बड़ा मशहूर होगा
ये माना कि हमको दिल से चाहते हो बहुत
मोहब्बत के दुश्मनों को कहां ये मंजूर होगा
इससे तो अच्छा है यादव तुम से दूर रहें हम
मगर पहलू में अब तुम्हारे कोई जरूर होगा
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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