ये जिंदगी है साहब
इस पे इतराना नहीं
ये देती है खूब तो
लेती भी बहुत है।
सर चढ़ा देती है
नशा तो उतारती
भी यही है।
जिंदगी की राहें
दिखतीं हसीन है
पर हैं बड़ी कठिन
कभी तबियत से
चलकर देखना।
टेढ़े को सीधा
और बना देती हैं
सीधे को टेंढा।
चढ़ा देती हैं
एक हीं झटके में
फर्श से अर्श पर
फिर पैरों तले ज़मीन
भी खिसका देती हैं।
रावण जैसा महान योद्धा
भी तिनके की तरह उड़ गया
वक्त का स्वर्णिम काल
भी इतिहास में बदल गया।
इसलिए ज्यादा पे इतराना नहीं
और कम में घबराना नहीं ।
ये दौलतें शोहरतें ये नाम
ये महल अटारी ये बंगला
ये गाड़ी
सब छूट जातें हैं बारी बारी।
एक पल के बाद ये शरीर भी
साथ छोड़ देता है।
रह जाता है बस आदमी का नाम
और नाम भी टिकता है
जब किए हों उसने कोई
नेक काम।
सिर्फ़ हवाबाजी से नाम नहीं
मिलता।
सिफ बड़े बड़े डिग्रियों से काम नहीं
मिलता।
आदमी को हूनरबाज़ होना चाहिए
आदमी हो तो अदमियता
नज़र आनी चाहिए।
वरना हैं ये जिंदगी
ये सबक सिखा हीं देती है।
सबके कर्मों का हिसाब लगा
हीं देती है।
सबके कर्मों का हिसाब लगा हीं
देती है...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




