तेरा यूं पल भर आना क्या
थोड़ा सा यूं मुस्काना क्या
रातों की मेरी नींद गई
सपनों में तेरा आना क्या
अब तो दिन वो गुजर गए
जो पंख लिए उड़ जाना क्या
अब राह तुम्हारी देखूं क्या
सांसों को अपनी छोड़ू क्या
तू परी जमाने की है जरूर
तो नाता सबसे तोड़ू क्या
मात-पिता अब राह निहारे
पल-पल मेरा नाम पुकारे
भूल को अपनी जान गया हूं
रिश्ता उससे तोड़ गया हूं
दूर नहीं अब मैं जाऊंगा
घर को वापस मैं आऊंगा
सपनों में तेरा आना क्या
थोड़ा सा यूं मुस्काना क्या