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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

शुकराना ज़रूर करना

शुकराना ज़रूर करना
हर पल का शुकराना करना सीख जाना
ज़िन्दगी हर पल यही सीख देती है
तुम पैसा देकर जो काम करवाते हो
कोई वही पैसा अपना पल पल लगा कर कमाता है
ऊँचाई की कोई हद नहीं होती
पर ज़मीन से उपर हो इस बात का शुकराना ज़रूर करना
जरूरतों का क्या है प्रत्येक क्षण नई नई बनती ही रहती हैं
यौवन बीत जाता है इन्द्रियाँ शिथिल पड़ जाती हैं
किन्तु इच्छाएँ तरुणी होती ही रहती हैं
सुख दुख के व्यंजन तो बहुतों की थाली में परोसे जाते हैं
तुम उनको देखना जिनकी थाली खाली भी है
इसलिए अपनी थाली में ही संतोष मान शुकराना करते रहना ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌😊

वन्दना सूद replied

शुक्रिया ma’am 😊

Lalit dadhich said

सुख दुःख के व्यंजन , वाह शब्दों को क्या पिरोया है ll

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

Lalit dadhich said

किसी की थाली, खाली है फिर भी उसे थाली मिली है ll ये भाग्य का पुख्ता सबूत है ll

वन्दना सूद replied

बहुत सुंदर बात कही आपने 👏👏ख़ाली ही सही पर थाली मिली है 👌👌

Shiv Charan Dass said

अच्छा शुकराना hai

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

जी अवश्य...ज्ञान से ओतप्रोत रचना

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूब रचना, आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

🙏🙏सादर नमस्कार sir

इक़बाल सिंह “राशा“ said

शुक्रगुजार होना उसकी रजा में रहना बहुत खूबसूरत संदेश, बहुत बढ़िया

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏

श्रेयसी said

बहुत सुंदर संदेश।🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

पवन कुमार "क्षितिज" said

हम तो इस प्रकृति को भी हर रोज शुक्राना करते है..और इतने अच्छे शब्दों का चयन कर रचना बनाई इसके लिए आपका भी शुक्रिया...👌

वन्दना सूद replied

बहुत अच्छे विचार हैं आपके sir

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

ऊंचाई की कोई हद नहीं होती है। वाह बहुत खूब लिखा, बधाई!

वन्दना सूद replied

🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏

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