मेरी श्याम रंग में रंगी प्रीत ,
गुलाब से खेली होली आई नहीं रीत,
श्याम संग होली की जीत उठा पाता हूं ,
मैं श्याम देख पाता हूं
शाम सवेरे स्वर से सुनिए सब उसकी,
सूरज तेज तप्ता भरे अब चुस्की,
झाके भी श्याम पर हो जाने न्योझावर दो ,
श्याम संग रंग का आनंद मुझे भी उठाने दो
आया अब सावन मास
कोयल भी कोये के साथ,
जड पडे पुराने पात,
माधव हम साथ साथ
पूर्णिमा में श्याम की जीत देख पाता हूं,
मैं श्याम देख पाता हूं
----अशोक सुथार