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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

तेज हवा में तन्हा पेड़ - सुप्रिया साहू

तेज़ हवा में तन्हा पेड़

तेज हवा में, पेड़ भी रो रहा था।
खुद से उम्मीदें, वो जोड़ रहा था।।

उसे भी थोड़ा, तन्हा-तन्हा लग रहा था।
वो हवा से संभले कैसे, सोच रहा था।।

जड़ भी साथ छोड़ रही थी उसकी।
वो अकेले हवा से लड़ता रहा था।।

आंसु भी गिरे, वो बहुत तड़प रहा था।
संदर भी भर गया, उसके आंसुओं से...।।

डाली भी बोली, कब तक टिकूंगी यहां।
कुछ करो ज़रा, चीख-चीखकर रो रहा था।।

धरती से जड़ भी बाहर में आ गया।
वो भी धीर-धीरे अब मर रहा था....।।

तन्हा होकर हार मान ली उसने भी।
अब वो जिंदगी जीना भूल रहा था।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

डाली भी बोली कब तक टिकूंगी यहां। प्रकृति का सुंदर मानवीकरण। वाह बहुत खूब।

सुप्रिया साहू replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मनोज सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

प्रकृति के दर्द को बखूबी से बयान किया आपने 👏👏👌👌

सुप्रिया साहू replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मैम 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Vadigi.aruna said

अति सुंदर 👌👌

सुप्रिया साहू replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मैम 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

सुन्दर अभिव्यक्ति

सुप्रिया साहू replied

बहुत - बहुत शुक्रिया दास सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam Prastuti Adarneey Mam...Prakrati Ki Baat Ab to Jab Tab Hoti Hai,,, M Apni Kahun to M khud doshi hun,, bhautikta m itna doob gaya hun prakrati se alag thalag sa hogaya hun, aapki rachna ke madhyam se punah ehshash hua ki mujhey aisa nahi karna chahiye, aapka bahut bahut shukriya itni sundar bhavnatmak prakratik rachna k liye.. Aapko Saadar Pranam mam..

सुप्रिया साहू replied

बहुत - बहुत आभार एवं शुक्रिया आदरणीय अशोक सर जी🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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