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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गीत - सर्दी की रूत आई

कापीराइट गीत

जब मेरे घर आंगन में सर्दी की रूत आई
औढ़ पहन कर हम बैठे जर्सी और रजाई

जब ठण्डी हवाओं ने अपना घूंघट खोला
सर्दी का एहसास हुआ जब दरवाजा खोला
धीरे-धीरे इस सर्दी ने ली ठण्डी अंगड़ाई
औढ़ पहन कर हम बैठे जर्सी और रजाई

रातें हो गई लम्बी, दिन के पंख कतर के
सूरज भी रह जाता है धुंध में आएं भर के
हिम के गिरते ही ये शीत लहर चली आई
औढ़ पहन कर हम बैठे जर्सी और रजाई

सर्दी के इस मौसम में सूरज भी शर्माता है
धुंध और बादल के घूंघट में छुप जाता है
कोहरे ने कैसी चादर ये देखो आज बिछाई
औढ़ पहन कर हम बैठे जर्सी और रजाई

तन सर्दी में ठिठुरे, हैं मजदूर किसानों के
सीमा पर पहरा देते, उन मासूम जवानों के
उन सबने कैसे ना जाने अपनी रात बिताई
औढ़ पहन कर हम बैठे जर्सी और रजाई

इतना ना डर सर्दी से तू यादव अपने घर में
बच के इससे चलता जा यूंही हंसी सफर में
देख कहीं ना हो जाए महफिल में रुसवाई
औढ़ पहन कर हम बैठे जर्सी और रजाई

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

श्रेयसी said

Waah padh kar mujhe bhi thandh lagne lagi . Gajab 👌👌 suprabhat, saadar pranaam Lekhram bhaiyaa 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत मेरी प्यारी बहना।

वन्दना सूद said

वाह वाह sir 🙏🙏👏👏🙌🏻🙌🏻 समयानुसार विषय का चयन आपका गज़ब है और उसको खूबसूरती से दर्शाना और भी बढ़िया

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार, आपको सादर नमस्कार।

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