अहंकार का अंत
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
पैसों का गुमान क्यों करता है,
ये तो हाथ का मैल है, फिर क्यों मरता है?
आज है तेरी तिजोरी भरी,
कल को हो सकती है खाली खरी।
अहंकार में भरकर तू फूल जाता है,
दुनिया को नीचा दिखाता है।
पर याद रख, समय बलवान है,
वो कभी भी बदल सकता है ये जहान है।
जैसे पत्थर डूबे अपने भार से,
वैसे ही घमंडी डूबे अभिमान के ज्वार से।
दया, प्रेम, करुणा को खो देता है,
बस अपने ही स्वार्थ में रो देता है।
झूठा है ये रौब, झूठी है ये शान,
क्षणिक सुख के पीछे न कर खुद का अपमान।
इंसानियत का दामन थामे रख,
ईश्वर का नाम तू जपता रख।
धन को साधन बना, साध्य नहीं,
तभी तेरा जीवन होगा सफल और निर्बाध सही।