जब हर गया हो मन ही अपना
फिर तन काम न आता हे
तब शत्रु विजय हो जाता है
जब अपना ही गेरों से मिलकर
हांडी का नमक बताता हे
तब शत्रु विजय हो जाता है
जब शत्रु को कमजोर समझ
योद्धा रन में आ जाता है
या शत्रु का बल अपने बल से
अधिक नजर आ जाता है
तब साहस क्षींण हो जाता है ,
ओर शत्रु विजय हो जाता है
छोड़ के साहस पुरुष रण में ,
जो केबल भाग्य भरोसे जाता हे
तब शत्रु विजय हो जाता हे
मातृभूमि की रक्षा हेतु
जो वीरगति को पाता हे
बो योद्धा अमर हो जाता हे
बो वीर विजय हो जाता हे
साक्षी लोधी_