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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ज़िंदगी भर

अब तेरी सूरत ना देखेंगे ज़िंदगी भर,
अब तुझे याद भी ना करेंगे ज़िंदगी भर।
जो आज तूने दर्द दिया,
उसे हम नहीं भूलेंगे ज़िंदगी भर।।

तू हमसे बात करने को तरसेगी,
पर हम तुझसे बात ना करेंगे ज़िंदगी भर।
तू देखने को भी तरसेगी हमे,
पर हम तुम्हें अपनी सूरत ना दिखाएंगे ज़िंदगी भर।।

तू ताने जो मार रही,
वो याद रहेंगे ज़िंदगी भर।
तू इतना पछताएगी,
कि पश्चाताप की आग में
जलती रहेगी ज़िंदगी भर।।

तूने ऐसे-ऐसे लफ़्ज़ आजमाए मेरे लिए,
जो मेरे कानों में गूंजते रहेंगे ज़िंदगी भर।
जो इल्ज़ामों के बाण तूने चलाए है मुझ पर,
वो भी चुभते रहेंगे ज़िंदगी भर।।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️






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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना, शब्दों के बाण बहुत तीव्र और तीखे होते हैं और ये जिन्दगी भर दुख का कारण बन जाते हैं इस बात को अपनी कविता में बहुत अच्छे से वर्णन किया है, बहुत सुंदर प्रस्तुति।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

कमलकांत घिरी said

आफ़रीन दीदी जी 👌👏👏🙏प्रणाम🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar prastuti mam🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

Shyam Kumar said

Bilkul sach kha.isly hame gusse m bhi apne sbdo pr kabu rakhna chahy. Kyoki sbdo ki maar insan jindgi bhar nahi bhulta.bahut ache se bayan kiya aapne.

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

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