चहु ओर प्रज्वलित दीप-मालिका,
हो प्रकाशित कुटिया-अट्टालिका,
दीपोत्सव है प्रभु श्रीराम आगमन,
अवध सुसज्जित ज्यों मल्लिका।
चौदह वर्ष व्यतीत कर वनवास,
नित्य बंधक रहा चित्त कारावास,
अहंकार परास्त हुआ विनय से,
प्रभु आये कर दशानन सर्वनाश।
धैर्य, विनय, साहस, चरित्र उत्तम,
इन सद्गुणों से परास्त होता तम,
दीप प्रज्वलित कर करो स्वागत,
श्रीराम लौटे बन मर्यादा पुरूषोत्तम।
परिपूर्ण हो धनधान्य, आकांक्षाएँ,
मंगल उत्सव की मंगलकामनाएँ,
प्रभु कृपा बनी रहे सदा सब पर,
दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
🖊️सुभाष कुमार यादव