जरूरी है क्या इजहार किया जाए
क्यूं न चुपके चुपके प्यार किया जाए
करो ना ख्वाइशें तुम न मैं वादा कोई
बस साथ चलने का करार किया जाए
देखे पतझड़ मैंने और तुमने सावन बड़े
सलीके से अबकी सदाबहार किया जाए
बड़ा शोर है मोबाइल मीडिया के दौर में
फिर से एक दूजे को चिट्ठी तार किया जाए
समझे दिल हमारा हमारे जज्बातों को जब
क्यों बोलकर इसे सरे बाजार किया जाए
----आशुतोष तीरथ