नाम क्या सूरत भी न भुलाई जाए हम से।
दर्द जुदाई का और न छुपाया जाए हम से।।
जिस ख्याल से भागती रही बचपन से अब।
उसी प्यार को और न दबाया जाए हम से।।
पास जाने का बहाना खोजती रहती आँखें।
दिल से दिल मिले दूर न जाया जाए हम से।।
अपने सोच की गिरफ्त में जाने कब से हूँ मैं।
ख्वाब छू के जगाते और न सोया जाए हम से।।
अब खुद को मिटाने का जुनून गया 'उपदेश'।
बेवजह खुद को और न सताया जाए हम से।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद