कापी राइट (गजल)
जब, चेहरा नया तुम, लगा लेते हो
क्यूं गम की राहें नई, दिखा देते हो
जब हमें खुशी कोई दे नहीं सकते
फिर, जख्म, हमें क्यूं, नया देते हो
गर निभानी नहीं थी ये वफा हमसे
यूं तङपने की हमें क्यूं सजा देते हो
ऐतबार, नहीं है अब, मेरे दिल को
इस तरह से जब तुम, दगा देते हो
हमसे निभा रहे हो दुश्मनी कौनसी
क्यूं तोहफे में, हमें यूं, कजा देते हो
इजहार खुशी का जब भी किया है
क्यूं तन्हाई से ये दिल सजा देते हो
अच्छा है तुम से, ये जमाना यादव
अश्क, आंखों में क्यूं, सजा देते हो
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है