कविता : चिंता और आग....
चिंता जिंदा इंसान
को जलाती है
आग मुर्दा इंसान
को जलाती है
ये सृष्टि ये जहां
चलाना ही है
चिंता और आग का काम
जलाना ही है
चिंता और आग का काम
जलाना ही है.......
netra prasad gautam