ख्वाबों में उल्फत माँगने में प्यार।
भरम फितरत का संयोग आधार।।
उस परछाई में डूबी मेरी परछाई।
हाथ से हाथ थाम बढ़ेगा व्यवहार।।
चाँद की रात भरोसे की हुई बात।
कुशलता से करो कुदरत से प्यार।।
स्वार्थ की आँखों में बह रहा पानी।
पानी को सम्भाल अच्छे है आसार।।
छल कपट में सही मतलब की बाते।
काम बनते ही 'उपदेश' का आभार।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद