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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लिख दी

गुमनाम आशिक ने अदब से तबियत लिख दी l
मानों जाते - जाते अपनी वसीयत लिख दी l

जिस मोहब्बत का गुरूर था उसे एक अरसे से,
वजह क्या थी उसने 'मरहूम मोहब्बत' लिख दीl

जी के... जीते जी न मिलेगा सुकूँ दुनियां में,
बात ऐसी लिखी के मानों आफत लिख दी l

उस जहर पर ऐतबार किसी को भला कैसे हो,
जहर...तेज जहर के एवज में मोहब्बत लिख दी l

दुनियां देख के दुनियां ने.. दुनियां को बुरा कह डाला,
ये दुनियां ही है जिसने दुनियां पर तोहमत लिख दी l

सुकूँ की तलाश में भटकते परिंदो के लिए,
लफ्ज तमाम लिखे और अंत में फुरसत लिख दी l

प्रीत दिल से लगा और दिमाग़ भी लगा,
ये बात लिखी मानों हसरत लिख दी l

सीने की आग में जलने न दिया जिस मेहमां को,
उसी ने अपनी डायरी में इस बात को झंझट लिख दी l

अधर मौन और हाथों को दिया पूर्ण विराम,
आख़री शब्द में कागज़ पर रुख़सत लिख दी l
-सिद्धार्थ गोरखपुरी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह सिद्धार्थ जी, आपने ये रचना खूबसूरत लिख दी।अधर मौन और हाथों को दिया पूर्ण विराम, आखिरी शब्द में कागज पर रूखसत लिख दी। वाह, हरेक बंध भावों से भरपूर।

सिद्धार्थ गोरखपुरी said

मनोज जी सादर धन्यवाद आपको

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