उसने कुछ अच्छा भी किया आज,
और कुछ बुरा भी किया।
उसने मुझे खुश भी किया आज
और मुझे दुःखी भी किया।।
जैसी मैं थी नहीं वैसी बातें,
आज उसने मेरी बना दी थी।
और जैसी मैं बनने वाली थी
वो बात सिर्फ़ मैं जानती थी,
लेकिन वो भी आज उसने बता दी थी।
एक पल जो उसने खुशी दी,
दूसरे ही पल पलक झपकते ही
दर्द भी दे दिया था।
और उस दर्द की ख़लिश इतनी थी,
कि जो खुशियां आज तक दी थी उसने
उनका साया भी अब मेरे पास नहीं रहा था।
उसने अनजाने में जो दर्द हमे दे दिया था,
कहीं ना कहीं उसका दुःख उसे भी हुआ था।
तभी तो उसने उस दर्द की वजह को
हटा देना चाहा,
पर अब क्या ? जब ग़म हमे मिल ही गया था।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️