धूप के साथ ही साये भी ढलते रहते हैं
हर वक्त सूरज के पाए बदलते रहते हैं
कोई भी आंधी इन्हें बुझा नहीं सकती
हसरतें चराग हरदम बस जलते रहते हैं
कौन बचाता है दुनियां में मुजरिमों को
जहन में सवाल अक्सर मचलते रहते हैं
मुश्किल से चल पायेंगे दो चार कदम ये
छोटे बच्चे गोद से खुद फिसलते रहते हैं
दास दफन दुनियां ख्वाहिश के समंदर में
बिरला ही कोई बचता सब डूबते रहते हैँ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




