हमने उजाले में भी अंधेरे के निशान देखे हैं,
पल - पल में बदलते कितने ही इंसान देखे हैं।
ज़िंदगी भर जिन्हें अपना समझते रहे,
उन अपनों में ही छुपे दुश्मन, धोखा खाने के दौरान देखे हैं।
तुम क्या जानो ग़म होता है क्या?
हमसे पूछो हमने ग़मों के कितने ही तूफ़ान देखे हैं।
धोखा खाकर भी संभलते नहीं है,
हमने लोग ऐसे - ऐसे भी नादान देखे हैं।
हर इंसान को ज़िंदगी में खुशियाॅं मिले ये ज़रूरी नहीं,
हमने कितनी ही ज़िंदगियों में काॅंटों के बागान देखे हैं।
ना दिल का, ना ख़ून का मान रखते हैं,
हमने ऐसे - ऐसे भी शैतान देखे हैं।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




