New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जब ईश्वर है खुद के अन्दर- स्वयं की खोज - वेदव्यास मिश्र

जब ईश्वर है खुद के अन्दर,
तो बाहर ढूँढ़ना भटकना क्यों !!
ग़र मन्दिर है खुद में ही यहीं,
तो दर-दर मत्थे टेकना क्यों !!

ग़र मन्दिर है सच में पावन,
तब तो उसमें कुछ बात भी है !!
जहाँ झूठ का हर पल वासा हो,
वहाँ खुद से ही समझौता क्यों !!

मन्दिर को मन्दिर रहने दो,
छल-कपट यहाँ से दूर करो !!
ग़र आया समस्या लेके कोई,
उसे और भी उलझाना ही क्यों !!

चन्दे-वन्दे उनसे ही लो,
जो स्वयं ही देना चाहते हों !!
जो तड़प के आया दुनिया से,
उसे और भी यूँ तड़पाना क्यों !!

हम राम भी हैं और रावण भी,
जो चाहोगे बन जाओगे !!
हम कौशिल्या कैकेई भी,
सोचो जैसा हो जाओगे !!
खुद के हिरदय में प्रभु बैठे,
तो इधर-उधर यूँ मटकना क्यों !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (12)

+

Bhushan Saahu said

Prabhu sbke andar ha fir bhi insan ek dusre ko dukh dekar khte hain ki m to drta hu bhagwan se.

वेदव्यास मिश्र said

Bhushan Saahu जी, सही कहा आपने भाई साहब 🙏🙏

Komal Raju said

Sach kaha... ईश्वर तो सबके अंदर विराजमान है बस आपका मन साफ होना चाहिए

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम आचार्य जी, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, उत्तम रचना दार्शनिक एवं धार्मिक अंदाज़ बहुत पसंद आया

Shyam Kumar said

कृष्ण तो सर्वस्व है

वेदव्यास मिश्र said

Shyam Kumar जी, सही बात है !! सभी में ईश्वर का अंश है..वो सब जगह नहीं पहुँच सकता मगर हम हर समय स्वयं से यानि ईश्वर से मिल सकते हैं !! नमस्कार 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, मुझे नवीनता और विविधता पसंद है भाई जीवन में !! मैं हर पल एक सा नहीं रह सकता !! एक उबाऊ सा महसूस होता है !! मुझे एक साहित्यकार ने पूछा-किस रस के कवि हो ?? मैंने कहा- मतलब ?? शृंगार,वियोग,वीर .. और कुछ ?? मैंने कहा- सभी पसंद है मुझे !! कम से कम एक घंटा उन्होंने हजार प्रकार के तर्क देकर ये साबित करने का प्रयास किया कि नहीं कवि को एक रस में ही रहना चाहिए !! वगैरह-वगैरह !! फिलहाल मुझे यही अच्छा लगता है और मुझे इसमें ही आनन्द आता है !! स्नेहाशीष नमन आभार भाई 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

Komal Raju जी, नमन आभार इस गहरी सोच के लिए और इस पोस्ट के समर्थन के लिए 🌈🌈

रीना कुमारी प्रजापत said

जो तड़प के आया दुनियां से, उसे और भी यूं तड़पाना क्यों... लाजवाब

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, मैं देख रहा हूँ मैम, मन्दिर का मतलब ही बदल के रख दिया है चन्द स्वार्थी लोगों ने !! मुझे संदेह है, भगवान ट्रस्टियों के क़ैद में हैं..कब्जे में हैं !! मन्दिर का मतलब होना चाहिए..शांति..पाॅजिटिविटी ..आस्तिकता पैदा हो !! हर समस्या का समाधान मिलता नज़र आये और बगुला भगत न मिलें मगर व्यवसाय का केन्द्र बनकर रह गया है जितने भी फेमस मन्दिर हैं !! किसी दिन,सचमुच के भगवान आ जायें,अपने ही मन्दिर में तो शायद बहुत परेशान हो जायें खुद से ही मिलने में !! अब तो यही कहना होगा ,भगवान ही भला करें !! नमन आभार 🙏🙏

Muskan Kaushik said

Bahut achaa likha aapne

वेदव्यास मिश्र said

Muskan Kaushik जी, हृदय स्पंदित आभार नमन !!🙏🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन