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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

साथ हर किसी का हम निभा नहीं सकते

कापीराइट गजल

साथ हर किसी का हम निभा नहीं सकते
मजबूरियां हैं क्या ये हम बता नहीं सकते

जिस राह पर चल कर हम हो गए बदनाम
उस राह पर फिर लौटकर जा नहीं सकते

मिलता जो तेरा साथ मिल जाती हर खुशी
क्यूं हम हो गए नाकाम बता नहीं सकते

जिन्दगी की चाह में सब कुछ लुटा दिया
क्या क्या लुटाया हमने बता नहीं सकते

कहना भी कुछ उनसे अच्छा नहीं अब तो
रिश्तों का बोझ ऐसे अब उठा नहीं सकते

ये एक तरफा प्यार भी होता नहीं सफल
जो कीमत चुकाई हमने बता नहीं सकते

अब उनका साथ देके क्यूं परेशां हैं यादव

जो इल्ज़ाम लगे हैं हम पे बता नहीं सकते

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल, जिस राह पर चलकर हम हो गए बदनाम उस रराह पर लौटकर फिर जा नहीं सकते

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। ये वही गजल है जिसके बारे में आपकी कविता पर कमेंट के द्वारा ईशारा किया था, आपको सुन्दर लगी मन प्रसन्न हुआ। आपको आभार सहित धन्यवाद।

Muskan Kaushik said

Jo ilzam lage ham pr ham bta nhi skte...waah.. bhut sundar

Lekhram Yadav replied

मुस्कान मलिक जी धन्यवाद सहित प्रणाम स्वीकार कीजिए।

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