कापीराइट गजल
साथ हर किसी का हम निभा नहीं सकते
मजबूरियां हैं क्या ये हम बता नहीं सकते
जिस राह पर चल कर हम हो गए बदनाम
उस राह पर फिर लौटकर जा नहीं सकते
मिलता जो तेरा साथ मिल जाती हर खुशी
क्यूं हम हो गए नाकाम बता नहीं सकते
जिन्दगी की चाह में सब कुछ लुटा दिया
क्या क्या लुटाया हमने बता नहीं सकते
कहना भी कुछ उनसे अच्छा नहीं अब तो
रिश्तों का बोझ ऐसे अब उठा नहीं सकते
ये एक तरफा प्यार भी होता नहीं सफल
जो कीमत चुकाई हमने बता नहीं सकते
अब उनका साथ देके क्यूं परेशां हैं यादव
जो इल्ज़ाम लगे हैं हम पे बता नहीं सकते
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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