कापीराइट गजल
जब दिल टूटा अपना यारो था साथ नहीं कोई मेरे
गम और तन्हाई के सिवा था साथ नहीं कोई मेरे
उस दिन मेरे संग बैठकर जब रोई ये मस्त बहारें
घूम रहा था वक्त का पहिया
जैसे कोई साथ मेरे
इस दिल के अरमान सभी मिल गए खाक में ऐसे
यूं खेल ये अनहोनी ने खेला जैसे कोई साथ मेरे
कैसे करें शिकायत हम जब अपने दिल तोङ गए
टूट गई ये उम्मीदें सारी और नहीं कुछ साथ मेरे
टूटे सपने छूटे अपने न जाने क्या-क्या टूट गया
इस टूटे पैमाने की कसम और नहीं कोई साथ मेरे
इश्क का पागलपन न जाने हम को कहां ले जाएगा
इश्क में यूं जलने वाला और नहीं कोई साथ मेरे
मेरे लिए तो बेमानी है अब ये सारी दुनियां यादव
बेमतलब सी दुनियां में अब कौन रहेगा साथ मेरे
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है