दिल पर लिखे अशआर
- ज़िंदगी ख़्वाब में बसर करके ।
थक गया दिल भी अब सफ़र करके ।।
तेरी बेचैनियों में गुम हो के ।
मैंने दिल का सुकून ढूंढा है ।।
फ़ासला करके देख सकते हो ।
कितना दिल के करीब आये हैं ।।
हमको रखना था सबका दिल यूं भी ।
हमने फिर अपना दिल नहीं रक्खा ।।
*दिल की आवाज़ सुन लिया करिए ।
पढ़ना ख़ामोशियों को मुश्किल है ।।
*तुमने दिल से अगर सुना होगा ।
मेरी आंखों ने कुछ कहा होगा ।।
*खुद को पाने की आस दिल में नहीं ।
खुद को खोने का दर्द इतना है ।।
*जुर्म कोई करो ,
मगर ये दिल ।
तेरे हक़ में ही
फ़ैसला देगा ।।
*आंखों में ख़्वाब थे
हक़ीक़त में कुछ न था।
दिल में हमारे बाक़ी
एहसास कुछ न था ।।
*बात रूह की अब
कर नहीं सकते ।
दिल ही जब दिल
को नहीं समझा ।।
*पढ़ना मुझको फिर दिल ने चाहा है ।
लफ़्ज़ दिल में उतर गये होंगे ।।
*भूल जाने की ज़िद ये कर बैठा ।
फैसला दिल का कितना मुश्किल है ।।
*ढूंढना दिल उसी को चाहता है ।
लापता हो गया , जो रिश्ता है ।।
*दिल को भी मेरे इसका
कितना मलाल था ।
सोचा था जिसको मैंने
ख़्वाब-ओ-ख़्याल था ।।
*थोड़ा सा फ़ासला रक्खा
कर दरमियां ।
लगता है दिल को डर
तुझे खो कहीं न दूं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
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