जब अधर्म बढ़ा धरा पर भारी,
छा गई जल में प्रलय की सवारी।
दुष्टों ने चुराए वेदों के ज्ञान,
डगमगाने लगा जग का विधान।
तब विष्णु ने मत्स्य रूप धराया,
अंधकार में आशा का दीप जलाया।
मुनि, मनु, पशु-पक्षी सारे,
नौका में रख दिए सहारे।
समुद्र की गहराई में जाकर,
हयग्रीव को मार कर,
वेदों को फिर से पाया,
सत्य का सूरज चमकाया।
बचाई सृष्टि, बचाया धर्म,
दिखाया सबको सच्चा करम।
जब संकट आए, मत घबराना,
धैर्य, विश्वास से जीत पाना।
✨सबक समाज के नाम:
ज्ञान न हो चोरी, सत्य न हो गुम,
हर दिल में हो इंसानियत का सुर।