जाने कहाँ गए वो शख्श
नितदिन लाते थे ग़ज़लें,
कभी सजाते थे दूकान मोहब्बत की
कभी हरिया और गब्बर का आतंक होता था
कभी मधुर गीतों से मुस्कान बिखेर जाते थे
कभी समीक्षा से दूसरों को प्रेरणा दे जाते थे
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'यादव जी'
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जाने कहाँ गए वो शख्श
नितदिन नयी कहानी गढ़ते
नितदिन नयी कलम चलाते
नए नए आयामों से फिर
नयी नयी रचनायें लाते
हंसी के लड्डू कभी दार्शनिक
कभी पति पत्नी आधारित
जाने कहाँ गए मास्साब जी
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'वेदव्यास जी'
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जाने कहाँ गए वो शख्श
नितदिन ग़ज़लें लाया करते
हर रचना को पढ़ लिया करते
अपनी आत्मीय समीक्षा
हर रचना पर रख दिया करते
रामायण सा राग लिखे जो
महाभारत पर काव्य लिखे जो
लिखन्तु के शीर्ष रचनाकार
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'ताज मोहम्मद'
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जाने कहाँ गए वो शख्श
पंक्ति २ हों या ४ सही
इतनी ही काफी होती थीं
मोहब्बत के अफ़साने लिखते
कुछ शिकायतें कुछ शिकवे होते
सुन्दर रचनाओं से जो मन को हर्षित कर जाते थे
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'कमल जी'
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जाने कहाँ गए वो शख्श
आदरणीय पूज्य डॉ साहिबा
कभी कहानी इतनी सुन्दर
चिड़िया रानी और गौरैया
कभी ज्ञान की बातें होती
सुन्दर सुन्दर रचनाओं से
नितदिन पटल सजाया करतीं
विश्व में श्रेष्ठ नाम है जिनका
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गयीं 'कंचन स्वर्णा जी'
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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




