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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

उनकी ला दो खबर कोई - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

जाने कहाँ गए वो शख्श
नितदिन लाते थे ग़ज़लें,
कभी सजाते थे दूकान मोहब्बत की
कभी हरिया और गब्बर का आतंक होता था
कभी मधुर गीतों से मुस्कान बिखेर जाते थे
कभी समीक्षा से दूसरों को प्रेरणा दे जाते थे
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'यादव जी'
=====================
जाने कहाँ गए वो शख्श
नितदिन नयी कहानी गढ़ते
नितदिन नयी कलम चलाते
नए नए आयामों से फिर
नयी नयी रचनायें लाते
हंसी के लड्डू कभी दार्शनिक
कभी पति पत्नी आधारित
जाने कहाँ गए मास्साब जी
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'वेदव्यास जी'
========================
जाने कहाँ गए वो शख्श
नितदिन ग़ज़लें लाया करते
हर रचना को पढ़ लिया करते
अपनी आत्मीय समीक्षा
हर रचना पर रख दिया करते
रामायण सा राग लिखे जो
महाभारत पर काव्य लिखे जो
लिखन्तु के शीर्ष रचनाकार
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'ताज मोहम्मद'
===================
जाने कहाँ गए वो शख्श
पंक्ति २ हों या ४ सही
इतनी ही काफी होती थीं
मोहब्बत के अफ़साने लिखते
कुछ शिकायतें कुछ शिकवे होते
सुन्दर रचनाओं से जो मन को हर्षित कर जाते थे
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गए 'कमल जी'
====================
जाने कहाँ गए वो शख्श
आदरणीय पूज्य डॉ साहिबा
कभी कहानी इतनी सुन्दर
चिड़िया रानी और गौरैया
कभी ज्ञान की बातें होती
सुन्दर सुन्दर रचनाओं से
नितदिन पटल सजाया करतीं
विश्व में श्रेष्ठ नाम है जिनका
जाने कहाँ गए वो शख्श
उनकी ला दो खबर कोई
जाने कहाँ गयीं 'कंचन स्वर्णा जी'
======================
अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर भाव पचौरी सर। सचमुच ये सभी विचार और लेखन के धनी है। हम सभी प्रतीक्षारत है उनकी रचनाओं को पढ़ने के लिए।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत आभार आदरणीय यादव सर जी, जी बिलकुल आपने सच कहा प्रतिभा,भाव एवं कलम के धनी आप एवं ये अनुपस्थित महानुभाव जिनकी रचनाओं में उच्च कोटि का संचार होता है उनको पढ़ने के लिए हम सब ही आतुर हैं, समीक्षा के लिए आपका बहुत आभार आशा करता हूँ आप नदारद नहीं होंगे यदि किसी वाक्यांश या शब्द से ठेश पहुंची हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ यद्यपि ऐसा करने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है, पुनः प्रणाम आदरणीय यादव सर

श्रेयसी said

क्या ख़ूब लिखा आपने बहुत सुंदर। मैंने पूछा था यादव जी से उन्होंने कहा मैं किताब लिख रहा हूंँ अपने विभाग का मैंने रीना जी को बताया भी। आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, आपकी समीक्षा का आना और यादव जी की कुशल क्षेम का आना दोनों सौभाग्य की बात है, ईश्वर से प्रार्थना है आदरणीय यादव सर जी की विभागीय पुस्तक उनकी उपलब्धियों में ४ अतिरिक्त चाँद लगाए आपको सादर प्रणाम एवं अभिवादन

उपदेश कुमार शाक्यावार said

आप की लेखनी सदा इसी तरह चलती रहे अति उत्तम अभिव्यक्ति के लिए आपको सादर प्रणाम

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय श्रद्धेय शाक्यवार सर जी को सादर नमस्कार एवं समीक्षा के लिए सादर आभार, आपके आशीर्वाद के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ कृपया ऐसा आशीर्वाद हमेशा बनाये रखें

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब अशोक जी......अपनों की कमी तो खलती है। मगर परिंदे हमेशा एक पेड़ पर ही नहीं रहते

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

जी बिलकुल सही कहा आदरणीय दास सर आपने अपनों की कमी तो खलती है और बिलकुल परिंदे हमेशा एक पेड़ पर नहीं रहते - लेकिन परिंदे ही एकमात्र साधन हों वृक्ष के जीवंत होने के एहसास का तो वृक्ष फिर परिंदों को याद तो करेगा ही - आपकी समीक्षा एवं निरंतरता के लिए आपको सादर आभार एवं प्रणाम

कमलकांत घिरी said

बहुत बहुत बहुत ही ज्यादा खूबसूरत रचना सर जी इस रचना के लिए आपको तहेदिल से धन्यवाद सहित बधाई😍💐🙏 और हां हम कहीं नहीं गए सर जी, जब तक ये अपना लिखन्तु रहेगा और इस लिखंतु में आप जैसे याद करने वाले शख़्स रहेंगे तब तक हम यहां से कहीं नहीं जाने वाले🥰😁 आपके इस प्रेम के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सहित आभार💐🙏 प्रणाम आर्द्र सर 🙏 ख़्याल रखिएगा अपना💐🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

बहुत दिनों के बाद गली में आज चाँद निकला है कांत सर जी आपको सादर प्रणाम एवं ह्रदय स्पर्शी समीक्षा के लिए एवं दर्शन रुपी उपस्थिति के लिए सादर अभिनन्दन एवं प्रणाम

सुप्रिया साहू said

बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपने अपनों की याद में बहुत ही सुंदर रचना रची है🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय सुप्रिया जी आपका बहुत बहुत आभार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

खूबसूरत कविता लिखी अशोक जी आपके हृदय में हिलोरे लेता वरिष्ठ कवि साथियों के प्रति आदर भाव आपकी विनम्रता को आलोकित करती है। यादव सर जी की रचना के लिए हम भी लालायित रहते हैं और उनकी जिंदादिली विनोद भरी प्रतिक्रिया का इंतजार रहता है,काश हम उन्हें ढूंढ के ला सकते।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय श्रद्धेय सोनवानी सर जी, आपकी प्रतिक्रियाएं दिल को छूकर जाती हैं

रीना कुमारी प्रजापत said

Perfect 👌👌✍️✍️

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका शुक्रिया आदरणीय Mam

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